Dwarka me Dekhne layak jagah Full information in Hindi– हैलो फ्रेंड्स। अगर आप द्वारका में द्वारकाधीश दर्शन करने जाने की सोच रहे हो तो ये ब्लॉग आप को द्वारका के बारे में बहोतसी जानकारी देगा जो आपकी यात्रा को आसान कर देगा।
तो आवो फ्रेंड्स आज देवभूमि द्वारका के बारे में कुछ बात करते है।
Dwarka me dekhne layak jagah Full Information in Hindi
देवभूमि द्वारका..
पौराणिक महत्व ..

गोमती नदी और अरब सागर के तट पर बसी कृष्ण की इस नगरी को द्वारका नगरी कहा जाता है।
भगवान कृष्ण को विष्णु का 8 वा अवतार माना जाता है जिन्होंने इस नगरी का निर्माण किया था।
सबसे पहले द्वारिका का ऎतिहासिक उल्लेख गुजरात के भावनगर में मिले 6 ठी सदी के पालीताना के कॉपर प्लेट्स पर मिला था।
इस नगरी को ग्रंथो में मोक्ष का द्वार भी माना गया है।
द्वारका का निर्माण क्यों और कैसे किया गया?
जरासंध के बार बार मथुरा पर आक्रमणों की वजह से श्री कृष्ण ने इस नगर का निर्माण कर के सब लोगों को यहाँ पर बसाया और उनके साथ यहीं पर बस गए।
कहा जाता है की श्री कृष्ण ने समुद्रदेव से जमीन मांगी और देवताओं के आर्किटेक्ट श्री विस्वकर्माजी से एक रात में ही इस नगर का निर्माण करवाया था।
पुराने उल्लेखों से पता चलता है की ये नगरी पूरी तरह सोने की बनी हुवी थी और वो नगरा-वास्तुकला का उत्तम उदाहरण थी।
द्वारका का विनाश क्यों हो गया?
गांधारी जो कौरवों की माता थी वो मानती थी की उनके पुत्रों की मृत्यु का कारन कृष्ण थे।
इस लिए उन्होंने उन्होंने श्रीकृष्ण को श्राप दिया था की तुम्हारे बच्चों सहित तुम्हारी पूरी नगर का विनाश हो जायेगा।
जिनके फल स्वरुप उनके श्राप के 36 सालों बाद समुद्र ने द्वारिका नगरी को पानी में समा लिया।
पौराणिक मान्यता के अनुसार आज भी वो नगरी पानी के निचे मौजूद है।
द्वारका में देखने लायक जगहें..
द्वारका में देखने लायक बहोत सारी जगह आयी हुई है जिसके बारे में आज हम विस्तार से इस आर्टिकल में जानेंगे।
- श्री द्वारकाधीश मुख्य मंदिर।
- गोमतीघाट और लोकल मार्केट।
- सुदामा सेतु।
- समुद्र नारायण मंदिर।
- द्वारका बीच।
- श्री शारदा पीठ।
- रुक्मणि माता मंदिर।
- भड़केश्वर महादेव मंदिर।
- गीता मंदिर।
- नागेश्वर महादेव।
- गोपी तालाब।
- लाइट हाउस।
- सनसेट पॉइंट।
- बेट द्वारका।
- शिवराजपुर बीच।
- हर्षद माता मंदिर।
द्वारका कैसे पहुंचे..?
By Air..
नजदीकी छोटा एयरपोर्ट राजकोट है और बड़ा एयरपोर्ट अहमदाबाद है।
यहाँ से आपको द्वारका जाने के लिए ट्रैन और बस मिल जाएगी।
By Rail..
यहाँ पर आप के वहां से जो कोई डायरेक्ट ट्रैन न आ रही हो तो आप अहमदाबाद पहुँच जाये।
यहाँ से कई ट्रैन आप को द्वारका के लिए मिल जाएगी।
ओखा जाने वाली सारी ट्रैन यहाँ हो कर ही गुजरती है।
By Bus..
यात्रा धाम होने की वजह से यहाँ पर ट्रैवेलिंग की अच्छी सुविधा उपलब्ध है।
सरकारी बस और प्राइवेट बस से आप यहाँ पहुँच सकते है।
अगर आप गुजरात बहार से आ रहे हो तो आप पहले अहमदाबाद पहुँच जाये।
वहां से आप को द्वारका जाने के लिए सुबह और शाम के समय जाने वाली ट्रैन और बस मिल जाएगी।
द्वारका में कहाँ पे रुके..
द्वारका मै अगर आपको अच्छी तरह से घूमना है तो आपको 1 से 2 रात द्वारका मै रुकना पड़ेगा।
क्यूंकि कुछ जगहों को आप समय देंगे तभी जाके उस जगह का अनुभव अच्छेसे कर पाएंगे।
द्वारका मै रुकने के लिए कई अच्छी होटल्स ,लोजीस और धर्मशालाएँ आयी हुवी है।
आप सरलता से ऑनलाइन बुकिंग करवा के रातको रुकने के लिए अच्छी जगह पसंद कर सकते है।
मैंने निचे होटल्स सर्च करने के लिए लिंक दे दी है आप वहां पर क्लिक करके होटल्स सर्च कर सकते हो।
द्वारका दर्शन कैसे करें..?
द्वारका की देखनेवाली जगहों पे आप दो तरीकों से जा सकते है।
- प्राइवेट वेहिकल से..
- द्वारका दर्शन के लिए बस सुविधा है उस में..
- ऑटो रिक्षा या प्राइवेट टेक्सी में..
- या फिर बाइक या कार एक दिन के लिए रेंट पर ले कर..
प्राइवेट वेहिकल से..
अगर आप खुद का वेहिकल ले कर आए हो तो सबसे अच्छा।
लेकिन अगर आप ट्रैन या बस से द्वारका तक पहुंचे हो तो आप को यहाँ पर घूमने के लिए दूसरी सुविधाएं मिल जाएगी।
जो कुछ इस प्रकार है।
द्वारका दर्शन के लिए बस सुविधा है उस में..
द्वारका से द्वारका दर्शन के लिए द्वारकाधीश मंदिर के बाजू में आयेहुवे लोकल मार्किट से सुबह और दोपहर को बस सुविधा भी उपलब्ध है।
जो आप को करीब 90 से 100 रुपये में आपको सारी देखने वाली जगहों को आधे दिन मै घुमा देगी।
सुबह 9 बजे जाने वाली बस दोपहर को करीब 1:30 बजे वापिस आ जाती है और दोपहर को 2 बजे निकलने वाली बस शाम को करीब 6:30 बजे वापिस आ जाती है।
ऑटो रिक्षा या प्राइवेट टेक्सी में..
प्राइवेट टैक्सी आधे दिन के करीब 1000 रुपये में और ऑटो रिक्षा पुरे दिन के करीब 700 रुपये में आपको सारी देखने वाली जगहों पर घुमा देगी।
बाइक या कार रेंट पर ले कर..
आपको द्वारका में बाइक या कार रेंट पर मिल जाएगी।
जिसे आप पुरे दिन के लिए रेंट पर ले सकते हो।
लेकिन यह सुविधा सिमित मात्रा में उपलब्ध है।
इस लिए अगर आप यह विकल्प पसंद करते हो तो पहले इन्क्वायरी जरूर से कर लीजिये।
- बाइक या एक्टिवा : 400/- ( पुरे दिन के )
- कार ( आधे दिन के लिए : 1000/- पुरे दिन के लिए : 2000/- )
Dwarka me dekhne layak jagah Full Information in Hindi
तो चलिए दोस्तों अब हम द्वारका में घूमने वाली जगहों को एक एक करके अच्छी तरह समझते है।
पहले दिन… सुबह के समय..
श्री द्वारकाधीश मुख्य मंदिर..
द्वारकाधीश मंदिर का इतिहास..

हिन्दू धर्म के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक ये मंदिर आध्यात्मिक रूप से बहोत ही महत्व रखता है।
ये मंदिर चार धाम में से एक है इसे जगतमंदिर से भी जाना जाता है।
वैसे तो ये मंदिर कब बना था इसका कोई उल्लेख नहीं मिला है लेकिन कथाओं के अनुसार ये मंदिर का निर्माण लगभग 2500 साल पहले श्री कृष्ण के परपोते वज्रनाभ ने करवाया था।
उसके बाद 8 वि सदी में आदि गुरु शंकराचार्य ने इस मंदिर का पुनः निर्माण करवाया था।
फिर राजपूतों ने कई सालों तक इस मंदिर की देखभाल की। 15 वि सताब्दी में महम्मद बेगड़ा ने इस मंदिर को बहोत ही ज्यादा नुक्सान पहोचाया था और इस तोड़ दिया था।
18 वि सताब्दी में गायकवाड़ों ने अंग्रेजों के साथ मिलके इस मंदिर का वापिस पुनः निर्माण करवाया था।
आम तौर पे यहाँ रोज के करीब 10000 श्रद्धालु आते है लेकिन ये संख्या जन्मास्टमी के दौरान करीब 1.5 लाख तक पहुँच जाती है।
द्वारकाधीश मंदिर की बनावट..
नागरा वास्तुकला से बना ये मंदिर 60 स्तम्भों पे खड़ा है और 38 मीटर ऊँचा है।
इस मंदिर पर 52 गज की धजा दिन में हर रोज 2 बार चढ़ाई जाती है।
काले मार्बल से बनी भगवान् की ये मूर्ति 2.5 फ़ीट ऊँची है ।
इस मूर्ति की आंखे आधी खुली और आधी बंध है।
मंदिर में अंदर आने के लिए दो द्वार है। मोक्ष द्वार और स्वर्ग द्वार।
56 सीढ़ियां चढ़ने के बाद स्वर्ग द्वार तक पहुंचा जाता है।
मंदिर से जुडी लोकवायका..
लोक वयकाओं के अनुसार बार बार हुवे आक्रमणों की वजह से इस मंदिर की मूर्ति को एक कुवे में छुपा दिया गया था।
कई सालों बाद भगवान एक पुजारी को सपने मै आये और मूर्ति को कुवे मैं से एक निश्चित समय पे निकालने का निर्देश दिया।
लेकिन पुजारी से नहीं रहा गया और उन्होंने समय से पहले ही निकाल ली।
इसकी वजह से मूर्ति की आँखे आधी खुली है और आधी बंध।
द्वारकाधीश मंदिर आरती का समय..
हर रोज श्री कृष्ण को 11 बार भोग धराया जाता है और दिन में 4 बार भगवन की आरती की जाती है।
- भगवान् को 6:30 बजे मंगला आरती से जगाया जाता है।
- फिर 10:30 बजे श्रृंगार आरती से उनको सजाया जाता है।
- साम को 7:30 बजे संध्या आरती होती है।
- और रात को 8:30 बजे शयन आरती से उनको सुलाया जाता है।
150 मीटर / 2 मिनटस चलके..
गोमती घाट और लोकल मार्किट..

गोमती नदी के किनारे पर बने हुवे इस घाट को गोमती घाट से जाना जाता है।
माना जाता है की यहाँ स्नान करने से आत्मा की शुद्धि होती है।
इसके किनारे पर भगवान राम ,भगवान शंकर और सुदामाजी के छोटे छोटे मंदिर बने हुवे है।
यहाँ पर बोटिंग भी की जा सकती है।
यहाँ पर पास मैं ही लोकल मार्किट आया हुवा है।
जहाँ से समुद्र से मिलने वाली चीजों की खरीददारी की जा सकती है।
150 मीटर / 2 मिनटस चलके..
सुदामा सेतु ।


गोमती नदी पे बना हुवा ये एक केबल ब्रिज है जिसके ऊपर से पैदल चल के ही जाया जा सकता है।
ये ब्रिज पंचकुई और गोमती घाट को जोड़ता है।
दिखने मै ये ऋषिकेश के रामज़ुला-लक्ष्मण जुला की तरह दीखता है।
850 मीटर / 10 मिनटस चलके..
समुद्र नारायण मंदिर..
समुद्र नारायण मंदिर गोमती नदी और अरब सागर के संगम पर स्थित है।
यह मंदिर देवी गोमती को समर्पित है, जिनके बारे में माना जाता है कि रावण से युद्ध के बाद राम को पवित्र करने के लिए उन्हें ऋषि वशिष्ठ ने स्वर्ग से लाया था।
राम की शुद्धि के बाद, देवी गोमती यहां घाटों पर प्रकट हुईं और अरब सागर में डूब गईं।
यह मंदिर या पांच कुओं से घिरा हुआ है, जिसमें मीठा पानी है।
चक्र नारायण, आसपास के एक अन्य मंदिर में एक पत्थर है जिसमें सुदर्शन चक्र का निशान है जो भगवान विष्णु का प्रतीक है।
मंदिर की आंतरिक वास्तुकला अत्यंत लुभावनी है।
भगवन विष्णु को यहाँ चक्र नारायण के नाम से जाना जाता है उनके दर्शन करने के बाद आप मनोरथ द्वार पर जा सकते हैं, जो पास में स्थित एक ध्यान गुफा है।
असंख्य संतों ने इस गुफा में ध्यान योग का अभ्यास किया है।
अरब सागर से बहने वाली ठंडी हवाओं डूबते सूरज को और भी सुन्दर बना देती है और ये मंजर बेहद सुखद और मन को एक अलग ही अलौकिक एहसास करवाता है।
दर्शन का समय : सुबह 6 से शाम 6
एन्ट्री : फ्री
फोटोग्राफी : अनुमति है
अनुमति नहीं हैं : पालतू जानवर
750 मीटर / 9 मिनटस चलके..
द्वारका बीच..
द्वारकाधीश मंदिर से करीब 1 किमी की दूरी पर द्वारका बीच आया हुवा है।
अपने फ़िरोज़ा पानी और सफेद रेत के लिए जाना जाता है।
यह समुद्र तट वास्तव में देखने लायक है। यह शहर के जीवन की हलचल से आराम करने और आराम करने के लिए सबसे अच्छी जगह है।
यह समुद्र तट कई मंदिरों के समीप स्थित है।
द्वारका बीच साफ-सुथरा है जो सैलानियों और तीर्थयात्रियों के बैठने और उनकी शाम बिताने के लिए एक शांत और शांत वातावरण प्रदान करता है।
1.4 km / 17 मिनटस चलके..या 5 मिनटस लोकल वाहन से..
श्री शारदापीठ..
शारदा पीठआदि गुरु शंकराचार्य ने इस मठ की स्थापना की थी।
उन्होंने जिन 4 मठों की स्थापना की थी उसमे एक यहाँ ,एक श्रृंगेरी, पूरी और ज्योतिर्मठ पर है।
ये पीठ म्यूजियम, शारदा विद्यापीठ आर्ट्स कॉलेज, और इंडियन रिसर्च टेम्पल को भी चलाता है।
ये उन विद्यार्थियों के लिए उत्तम जगह है जो भारतीय कल्चर के बारे में सीखना चाहते है।
यहाँ पर संस्कृत भासा को पूरा महत्व दिया जाता है।
इसे द्वारिका मठ या कलिका मठ से भी जाना जाता है। यहाँ पर शंकराचार्य के कई कलात्मक चित्र बनाये गए है।
दर्शन सब दिन : सुबह 6 से साम को 6.
एंट्री : फ्री
1.2 km/14 मिनटस चलके.. या 2.3 किमी/3 मिनटस कार या लोकल वाहन से..
रुक्मणीदेवी मंदिर..

मुख्य मंदिर से लगभग 2 किमी की दूरी पर आया हुवा ये मंदिर श्री कृष्ण की पत्नी रुकमणीजी को समर्पित है।
माना जाता है की ये मंदिर 2500 साल पुराना है।
पौराणिक कथाओ के अनुसार ऋषि दुर्वासा ने रुकमणीजी को अपने पति से बिछड़ जाने का श्राप दिया था।
इस वजह से ये मंदिर द्वारकाधीश मुख्य मंदिर से कुछ किमी की दूरी पर बना हुवा है।
सुबह से शाम को ये मंदिर खुला रहता है।
2.2 km / 7 मिनटस प्राइवेट या लोकल वाहन से..
भड़केश्वर महादेव & गीता मंदिर..

भड़केश्वर महादेव..
मुख्य मंदिर से लगभग 1.5 किमी पर आया हुवा ये मंदिर भगवान शिव को समर्पित है जो चारो और पानी से घिरा हुवा है।
इस मंदिर को चंद्र मौलेश्वर से भी जाना जाता है।
माना जाता है की यहाँ की जो मूर्ति है वो आदि गुरु शंकराचार्य को मिली थी।
- दर्शन समय : सुबह 5 से साम 10.
- प्रवेश : फ्री
गीता मंदिर..
ये मंदिर भगवद गीता को समजता है। मंदिर मैं श्री कृष्ण ने अर्जुन को जो गीता समजायी थी उसको अच्छे से समझाया गया है।
मंदिर के स्तम्भों पर पूरी भगवद गीता का चित्रण किया गया है।
इस मंदिर की खास बात ये है की मंदिर के परिसर मई कोई ताली बजाता है तो वो गूंज वापिस 7 बार सुनाई देती है।
पर्यटक ये दोनों मंदिर में कोई भी समय जा सकते है लेकिन सुबह और शाम को ज्यादा आनद मिलता है।
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दोपहर..
द्वारकाधीश मुख्य मंदिर से..
15-16 किमी / 20-25 मिनट्स प्राइवेट या लोकल वाहन से..
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग..

भगवान शंकर के कुल 12 ज्योतिर्लिंग आये हुवे है पुरे भारत मैं।
उसमे से 2 ज्योतिर्लिंग गुजरात मैं स्थित है।
पहला ज्योतिर्लिंग सोमनाथ मैं स्थित है और दूसरा द्वारका से करीब 15 किमी दूर ये नागेश्वर महादेव है।
यहाँ जाने के लिए लोकल वेहिकल उपलब्ध है।
नाहेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे मैं मैंने एक अलग से ब्लॉग बनाया हुवा है।
जहाँ इस ज्योतिर्लिंग के बारे मैं विस्तार से समझाया हुवा है।
कृपया आप उसे जरूर पढ़े।
ज्यादा पढ़ें : नागेश्वर ज्योतिर्लिंग..
दर्शन समय : सुबह 7 से साम 9 बजे तक कोई भी समय
प्रवेश : फ्री
5 किमी / 10 मिनट्स प्राइवेट या लोकल वाहन से..
गोपी तालाब ..
नागेश्वर से करीब 5 किमी की दूरी पर आये हुवे इस तालाब को गोपी तालाब कहते है।
ये स्थल द्वारका के महत्वपूर्ण धार्मिक स्थलों में से एक है।
गोपी तालाब या गोपी झील का हिंदू पौराणिक कथाओं में एक विशेष महत्व है, क्योंकि यह माना जाता है कि यह दिव्य स्थान है।
जहां सभी गोपियों ने भगवान कृष्ण के साथ अपनी अंतिम रास लीला का प्रदर्शन किया था।
अंतिम रास लीला के बाद, उन्होंने गोपी तलाव में भगवान कृष्ण के साथ एकजुट होकर शरद पूर्णिमा की रात मोक्ष प्राप्त किया।
लोकवायका यह है कि वे पीले रेत में बदल गए जो लोकप्रिय रूप से गोपी चंदन के रूप में जाना जाता है।
आज भी गोपी तलाव की मिट्टी एक पीले रंग की है और माना जाता है कि इसमें दिव्य गुण होते हैं।
जो कई बीमारियों का इलाज कर सकते हैं, विशेष रूप से त्वचा से संबंधित।
यह कई हिंदुओं द्वारा चंदन के रूप में उनके माथे पर भी लगाया जाता है।
पहले दिन ..शाम को..
द्वारकाधीश मुख्य मंदिर से..
1.4 किमी / 6 मिनट्स प्राइवेट या लोकल वाहन से..
लाइट हाउस..

लाइट हाउस का उपयोग सागर में चल रहे जहाजों को दिशा दिखाने का होता है। इस लिए हर बड़े किनारे पर आपको लाइट हाउस दिख जायेंगे।
द्वारका मैं एक लाइट हाउस मुख्य मंदिर से करीब 1.4 किमी की दूरी पर आया हुवा है। ये लाइट हाउस शाम को ही पर्यटकों के लिए खुलता है।
पहले इस दीपघर में प्रवासियों को देखने जाने देते थे लेकिन अब यह लाइट हाउस प्रवासियों के लिए बंद कर दिया गया है।
आम जनता को यहाँ जाना प्रतिबंधित है।
लेकिन इस लाइट हाउस के पीछे गणपतिजी का एक छोटा सा मंदिर आया हुवा है। जहाँ पर आप जा सकते हो और इस दीपघर को नजदीक से देख सकते हो।
900 मीटर / 10 मिनट्स चल के..
सनसेट पॉइंट..

लाइट हाउस के पास मैं ही सनसेट पॉइंट है।
पुरे दिन की भाग दौड़ के बाद शाम को ढलते सूरज को देखने का मजा ही कुछ अलग है।
शांत वातवराण, ठंडी समुद्र के ऊपर से बहने वाली हवा, समुद्र के पानी की आवाज और ढलता सूरज हमें अपनी मौजूदगी का एहसास करवाता है।
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दूसरे दिन..
द्वारका से बेट द्वारका कैसे पहुंचे और वहाँ क्या क्या देख सकते है उसके बारे में डिटैल में मैंने एक दूसरा ब्लॉग बनाया हुवा है जिसकी लिंक निचे दी हुवी है आप उसे जरूर पढ़ें।
यहाँ पर आज हम सिर्फ रोड मैप ही देखेंगे जिससे आप को आईडिया आ जायेगा की किस तरह से बेटद्वारका पहुंचा जाये।
ज्यादा पढ़ें : बेट द्वारका पूरी जानकारी..
द्वारका से..
31 किमी / 42 मिनिट्स प्राइवेट या लोकल वेहिकल से..
ओखा जेटी..
5 किमी / 36 मिनिट्स बोट से ही..
बेट द्वारका..
कृष्ण मंदिर..
द्वारका राजधानी थी और यहाँ पर भगवान निवास करते थे।
यहाँ पर भगवान कृष्ण की अपने मित्र से भेंट हुई थी इस लिए यहाँ पर कृष्ण और सुदामा की मूर्ति साथ में है।
5.7 किमी / 16 मिनिट्स लोकल वाहन से..
हनुमान दांडी मंदिर..

ये दुनिया का एक मात्र मंदिर है जहाँ श्री हनुमानजी और उनके पुत्र मकरध्वज की मूर्तियां एक साथ स्थापित है।
जो दूसरी कोई भी जगह पर नहीं है। हनुमानजी के पास वैसे तो गदा ही होती है लेकिन यहाँ पर उनके हाथों में दांडी है इस लिए इस जगह को दांडी वाले हनुमान से जाना जाता है।
दर्शन का उचित समय : सुबह और शाम।
प्रवेश : फ्री
1-2 किमी / 10 मिनिट्स चल के ही..
डनी पॉइंट..

बेट द्वारका के आखरी छोर पर आया हुवा ये एक शांत और सुन्दर बीच है।
हनुमानदांडी मंदिर से लगभग 1-2 किमी पैदल चल कर ही यहाँ आया जा सकता है।
ये जगह व्यावसायिकता और पॉल्युशन से अछूती है।
अगर आप बेट द्वारका आये हो तो यहाँ पर जरूर जाये ये बहुत ही सुन्दर जगह है लेकिन शाम को ही जाएँ क्यों की शाम को ढलते सूरज देखने का आनंद ही कुछ अलग है जो मन को शांत करता है।
अगर आप के पास कुछ और दिन है तो भारत के 8 साफ़ सुथरे बीच में से एक शिवराजपुर बीच और भगवान कृष्ण के कुलदेवी माता हरसिद्धि देवी के दर्शन करने आप जा सकते हो।
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दिन तीसरा..
द्वारका से..
12 किमी / प्राइवेट वाहन या बस से..
शिवराजपुर बीच
द्वारका मुख्य मंदिर से करीब 10 से 12 किमी की दूरी पर यह सुंदर बीच आया हुवा है।
हालां की यह बीच अनछुवा है मतलब की अभी इस बीच के बारे में यहाँ नजदीक के शहरों में रहने वाले भी कई लोग नहीं जानते।
इस लिए यह बीच कम भीड़भाड़ वाला और अभी तक तो साफ़ सुथरा बीच है।
यह बीच द्वारका से ओखा जाते हुवे रास्ते में पड़ता है।
द्वारका से सबसे जाने माने बीच बेट द्वारका इसी रास्ते से जाना पड़ता है।
शिवराजपुर बीच पर पानी तट से दूर तक उथला है जिसके कारण आप यहाँ पर गोवा के बीचों जैसे अनुभव करेंगे।
यहाँ पर बच्चे भी नहाने का आनंद उठा सकते है।
यहाँ का शांत नीला पानी और रेतीला समुद्र तट बीच पर एक सुंदर अनुभव कराता है।
शिवराजपुर बीच के बारे में आप निचे दी गयी लिंक पर जाके विस्तार से जानकारी पा सकते हो।
ज्यादा पढ़ें : शिवराजपुर बीच
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दिन चौथा.. द्वारका से..
102 किमी / 2 घंटे प्राइवेट वाहन या बस से..
हरसिद्धि माता मंदिर या हर्षद माता मंदिर..

हरसिद्धि एक क्षेत्रीय हिंदू देवी है। वह कई क्षत्रिय, ब्राह्मण, राजपूत और वैश्य समुदायों द्वारा कुलदेवी के रूप में पूजी जाती हैं।
वह मछुआरों और अन्य समुद्री-पालन करने वाली जनजातियों और गुजरात के लोगों द्वारा धार्मिक रूप से पूजा की जाती है क्योंकि उन्हें समुद्र में जहाजों का रक्षक माना जाता है।
हरसिद्धि माता मंदिर को पोरबंदर एन मार्ग से लगभग 30 किमी दूर द्वारका में गाँधी गाँव में स्थित हर्षल माता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मुख्य मंदिर मूल रूप से समुद्र के सामने एक पहाड़ी पर स्थित था।
हरसिद्धि माता मंदिर द्वारका रोड पर पोरबंदर से 45 किलोमीटर दूर स्थित है और एक प्रसिद्ध स्थानीय तीर्थस्थल है। सोमनाथ-द्वारका मार्ग पर अतिथि रुकते हैं।
आश्चर्यजनक अरबी समुद्र के नज़ारों वाली एक पहाड़ी पर मंदिर का स्थान इसे एक लोकप्रिय पड़ाव बनाता है।
यह मंदिर द्वारका से करीब 100 किमी की दूरी पर है।
मैंने हरसिद्धि माता मंदिर के बारे में एक दूसरा आर्टिकल विस्तार से लिखा हुवा है। आप उसे भी निचे दी गयी लिंक पर जाके पढ़ सकते हो।
विस्तार से पढ़ें : हरसिद्धिमाता मंदिर
Conclusion - निष्कर्ष
यह आर्टिकल मैंने अपने खुद के अनुभव और मेरे दोस्तों के अनुभव से लिखा हुवा है।
अगर आप द्वारका के बारे में और भी ज्यादा जानकारी रखते हो तो यहाँ पर कमेंट बॉक्स में जरूर से शेयर कीजिये।
जिससे यहाँ पर घूमने आने वाले यात्रिको को देवभूमि द्वारका के बारे में और भी अच्छी जानकारी मिल सके जो हमारा इस आर्टिकल लिखने का मुख्य उदेश्य भी है।
अगर आप को यह आर्टिकल में दी गयी जानकरी उपयोगी लगी हो तो कॉमेंट बॉक्स में जरूर से कॉमेंट कीजिये और अपने दोस्तों में जरूर से शेयर कीजिये।
और मेरी इस वेबसाइट को नोटिफिकेशन बेल दबाके जरूर से सब्सक्राइब कर लीजिये जिससे आगे आने वाले ऐसे और भी कई आर्टिकल का नोटिफिकेशन आप को मिल सके और मुझे और ज्यादा अच्छे आर्टिकल लिखने की प्रेरणा मिले।
Note : आर्टिकल में दी गयी टिकट की किंमत समय समय पर बदल सकती है। मैंने यहाँ मौजूदा किंमत दी है जिसे में समय समय पर अपडेट करता रहूँगा।
फिरभी आप दी गयी किंमत को लगभग किंमत मान कर चलें।
आशा करता हूँ की आप को आर्टिकल में दी गई जानकारी यहाँ पर घूमने आने के समय जरूर से मदद करेगी।
अपना कीमती समय इस आर्टिकल को देने के लिए आपका धन्यवाद।
जय द्वारकाधीश..
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